नाभिकीय रिएक्टर एक ऐसा संयंत्र है जिसमें नाभिकीय श्रंखला अभिक्रिया को प्रारंभ और नियंत्रित किया जा सकता है
"अवस्था यह नियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया का उदाहरण है!! "
" एक ऐसा समायोजन जिसने रेडियोएक्टिव पदार्थ का विखंडन नियंत्रित रूप से करके निश्चित मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न की जाती है परमाणु भट्टी कहलाती है!! "
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Cartosat series mission of isro
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परमाणु भट्टी के महत्वपूर्ण भाग--
1. विखंडनीय पदार्थ या ईंधन -
परमाणु भट्टी में सबसे महत्वपूर्ण भाग ईंधन होता है ईंधन वह पदार्थ होता है जिसके द्वारा रेडियोऐक्टिव खंडन किया जाता है विखंडनीय पदार्थ के रूप में यूरेनियम-235 का उपयोग करते हैं इस विखंडनीय पदार्थ को छड़ो के रूप में एलुमिनियम में बंद करके ग्रेफाइट या भारी जल मैं कुछ दूरियों पर रखा जाता है !!
2. मंदक -
मंदक का कार्य न्यूट्रॉन की गति को कम करना होता है यूरेनियम 235 तापीय ऊर्जा(0.0025ev) के न्यूटन विखंडित हो जाता है परंतु विखंडन से प्राप्त होने वाले न्यूट्रॉन की ऊर्जा 1 mev होती है अतः इनकी यूरेनियम-235 के साथ टक्कर को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है कि इनको मंदित कर तापीय ऊर्जा तक तक लाया जाए !
परमाणु भट्टी में ईंधन के बीच भरा गया मंदक यहीं कार्य करता है मंदक के रूप में ग्रेफाइट की छड़ों भारी जल का उपयोग किया जाता है !!
3. नियंत्रक छड़ -
गुणन कारक की K का मान 1 से अधिक हो जाने पर विखंडन अभिक्रिया अनियंत्रित हो जाती है ऐसा होने पर परमाणु भट्टी में विस्फोट का खतरा रहता है तथा इससे बचने के लिए आवश्यक है कि श्रंखला अभिक्रिया नियंत्रित या स्थाई अवस्था में बनी रहे अथार्थ * कारक के का मान एक बना रहना चाहिए इसके लिए विखंडन से प्राप्त अतिरिक्त न्यूट्रॉन को किसी धातु से अवशोषण किया जाता है, अवशोषण धातु छड़ को नियंत्रित छड़ कहते हैं
नियंत्रित छड़ के रूप में कैडमियम (cd) की छड़ का उपयोग किया जाता है इनके द्वारा न्यूट्रॉन अवशोषण के बाद भी विखंडन नहीं होना चाहिए !!
""""" गुणनकारक - नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में n पीडी में न्यूट्रॉन की संख्या तथा
n-1 बी पीडी में न्यूट्रॉन की संख्या के अनुपात को गुणन कारक कहते हैं"""
4. शीतलक -
विखंडन से अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है इस ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए , हटाने के लिए ठंडे पानी द्रव सोडियम(Na), कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग किया जाता है इन्हें शीतलक के रूप में नाभिकीय रिएक्टर में प्रयुक्त किया जाता है
5. परिरक्षक -
परमाणु भट्टी में विखंडन की ऊर्जा के साथ-साथ कई प्रकार की रेडियोएक्टिव किरणें भी निकलती है इन से बचाव के लिए परमाणु भट्टी की चारों और कम से कम 2 मीटर (2m) मोटी कंक्रीट की दीवार बनाई जाती है यह दीवार परिरक्षक का कार्य करती है
सर्वप्रथम नियंत्रित छड़ों को परमाणु भट्टी से बाहर निकाला जाता है जिसके कारण विखंडन अभिक्रिया प्रारंभ हो जाती है विखंडन से मुक्त अन्य न्यूट्रॉन मंदक से गुजरकर तापीय ऊर्जा तक मंदित हो जाते हैं मंदक तथा यह Cd की छड़ों को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि परमाणु भट्टी में एक नियंत्रित संतला अभिक्रिया प्रारंभ हो सके इस प्रकार मुक्त हुई अत्यधिक ऊर्जा को शीतल के द्वारा बाहर निकाला जाता है तथा ऊष्मा का उपयोग विद्युत जनित्र मैं टरबाइन चलाने के लिए किया जाता है जिससे विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है "" "
परमाणु भट्टी nuclear reactor
Reviewed by Hs sharma
on
February 06, 2018
Rating:
Thanks For visit on blog
ReplyDeleteNice m.
ReplyDeleteBahut maza aaya
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