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क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे सौर मंडल में उपस्थित सूर्य किस प्रकार चमकता है ।।
यह किस तरह से उर्जा का उत्सर्जन करता है ।।
हमारा सूर्य एक विशाल तारा है यह किस प्रकार ऊर्जा प्रदान करता है इस पर अनेक वैज्ञानिकों के विभिन्न प्रकार के मत है।।
●सर्वप्रथम यह माना जाता था कि सूर्य से उत्सर्जित
होने वाली ऊर्जा का माध्यम उस में होने वाले ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन का दहन है लेकिन इस अवधारणा को नकार दिया गया क्योंकि अगर ऐसा होता तो हमारा सूर्य केवल 2000- 3000 साल तक की उर्जा प्रदान कर पाता इसलिए यह संभव नहीं है कि सूर्य में ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन का दहन ही उसकी ऊर्जा का स्रोत है
●तथा इसके बाद सन 1842 मेयर ने बताया कि सूर्य में ऊर्जा का श्रोत उस पर गिरने वाली निरंतर उल्कापिंडों की टक्कर से उत्पन्न ऊर्जा है इसका मतलब यह हुआ कि जब सूर्य पर उल्का पिंड की बौछार होती है तो उनके घर्षण तथा टक्कर से जो एनर्जी निकलती है वह सूर्य में ऊर्जा का स्रोत है लेकिन इस अवधारणा को भी नकार दिया गया क्योंकि अगर ऐसा होता तो सूर्य के द्रव्यमान वृद्धि होती और सूर्य के द्रव्यमान में वृद्धि होने के कारण उसकी गुरुत्वाकर्षण बल में वृद्धि होती है और गुरुत्वाकर्षण बल में वृद्धि होने के कारण सूर्य के चक्कर लगा रहे हैं ग्रहों की कक्षा में विचलन होता इसलिए इस अवधारणा को भी नकार दिया गया क्योंकि सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले ग्रहों की कक्षा में विचलन नहीं होता है
●इन दो अवधारणाओं के बाद में लार्ड केल्विन तथा हेल्महोल्टज ने अपनी अवधारणा दी इनकी अवधारणा के अनुसार सूर्य निरंतर अपने द्रव्यमान में संकुचन कर रहा है इससे उसमें उर्जा उत्पन्न हो रही है उन्होंने सूर्य में ऊर्जा का श्रोत उसके द्रव्यमान में संकुचन को बताया था सूर्य सिकुड़ रहा है अगर ऐसा होता तो हमारा सूर्य केवल आधे घंटे के लिए ऊर्जा प्रदान कर पाता और एक बिंदु गत हो कर नष्ट हो जाता इसलिए इस अवधारणा को भी नकार दिया गया
■●इन सब अवधारणाओं के बाद में होउटरमैन्स व अटकीसन ने अपनी अवधारणा दी उन्होंने कहा कि सूर्य में उर्जा का स्रोत ताप नाभिकीय अभिक्रिया है
■●तथा इसके बाद में सन 1939 में वॉइसजैकर तथा हैंस ने इस बात को प्रयोग द्वारा स्पष्ट किया कि सूर्य में ऊर्जा का स्रोत ताप नाभिकीय संलयन होता है उन्होंने कहा कि सूर्य में हाइड्रोजन परमाणु हीलियम में बदल रहा है
अतः यह अवधारणा मान्य हुई
हमारी सूर्य के आकार से दुगना सूर्य अपनी हाइड्रोजन 10 गुना तेजी से खर्च करता है तथा हमारी सूर्य के आकार से 10 गुना वाला सूर्य अपनी हाइड्रोजन हजार गुना तेजी से खर्च करता है अथार्थ जिस सूर्य का आकार जितना बड़ा होगा वह उतनी ही कम जीवन और दीजिएगा अथार्त वह जल्दी नष्ट हो जाएगा
इस प्रकार हमारा सूर्य चमकता है और यह चमकता हुआ अपने जीवन का आधा समय व्यतीत कर चुका है
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे सौर मंडल में उपस्थित सूर्य किस प्रकार चमकता है ।।
यह किस तरह से उर्जा का उत्सर्जन करता है ।।
हमारा सूर्य एक विशाल तारा है यह किस प्रकार ऊर्जा प्रदान करता है इस पर अनेक वैज्ञानिकों के विभिन्न प्रकार के मत है।।
●सर्वप्रथम यह माना जाता था कि सूर्य से उत्सर्जित
होने वाली ऊर्जा का माध्यम उस में होने वाले ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन का दहन है लेकिन इस अवधारणा को नकार दिया गया क्योंकि अगर ऐसा होता तो हमारा सूर्य केवल 2000- 3000 साल तक की उर्जा प्रदान कर पाता इसलिए यह संभव नहीं है कि सूर्य में ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन का दहन ही उसकी ऊर्जा का स्रोत है
●तथा इसके बाद सन 1842 मेयर ने बताया कि सूर्य में ऊर्जा का श्रोत उस पर गिरने वाली निरंतर उल्कापिंडों की टक्कर से उत्पन्न ऊर्जा है इसका मतलब यह हुआ कि जब सूर्य पर उल्का पिंड की बौछार होती है तो उनके घर्षण तथा टक्कर से जो एनर्जी निकलती है वह सूर्य में ऊर्जा का स्रोत है लेकिन इस अवधारणा को भी नकार दिया गया क्योंकि अगर ऐसा होता तो सूर्य के द्रव्यमान वृद्धि होती और सूर्य के द्रव्यमान में वृद्धि होने के कारण उसकी गुरुत्वाकर्षण बल में वृद्धि होती है और गुरुत्वाकर्षण बल में वृद्धि होने के कारण सूर्य के चक्कर लगा रहे हैं ग्रहों की कक्षा में विचलन होता इसलिए इस अवधारणा को भी नकार दिया गया क्योंकि सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले ग्रहों की कक्षा में विचलन नहीं होता है
●इन दो अवधारणाओं के बाद में लार्ड केल्विन तथा हेल्महोल्टज ने अपनी अवधारणा दी इनकी अवधारणा के अनुसार सूर्य निरंतर अपने द्रव्यमान में संकुचन कर रहा है इससे उसमें उर्जा उत्पन्न हो रही है उन्होंने सूर्य में ऊर्जा का श्रोत उसके द्रव्यमान में संकुचन को बताया था सूर्य सिकुड़ रहा है अगर ऐसा होता तो हमारा सूर्य केवल आधे घंटे के लिए ऊर्जा प्रदान कर पाता और एक बिंदु गत हो कर नष्ट हो जाता इसलिए इस अवधारणा को भी नकार दिया गया
■●इन सब अवधारणाओं के बाद में होउटरमैन्स व अटकीसन ने अपनी अवधारणा दी उन्होंने कहा कि सूर्य में उर्जा का स्रोत ताप नाभिकीय अभिक्रिया है
■●तथा इसके बाद में सन 1939 में वॉइसजैकर तथा हैंस ने इस बात को प्रयोग द्वारा स्पष्ट किया कि सूर्य में ऊर्जा का स्रोत ताप नाभिकीय संलयन होता है उन्होंने कहा कि सूर्य में हाइड्रोजन परमाणु हीलियम में बदल रहा है
अतः यह अवधारणा मान्य हुई
हमारी सूर्य के आकार से दुगना सूर्य अपनी हाइड्रोजन 10 गुना तेजी से खर्च करता है तथा हमारी सूर्य के आकार से 10 गुना वाला सूर्य अपनी हाइड्रोजन हजार गुना तेजी से खर्च करता है अथार्थ जिस सूर्य का आकार जितना बड़ा होगा वह उतनी ही कम जीवन और दीजिएगा अथार्त वह जल्दी नष्ट हो जाएगा
इस प्रकार हमारा सूर्य चमकता है और यह चमकता हुआ अपने जीवन का आधा समय व्यतीत कर चुका है
सूर्य चमकता कैसे है
Reviewed by Hs sharma
on
November 02, 2017
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