भारत का Mars Orbiter Mission, इसको मंगलयान के नाम से भी जाना जाता है।, मंगलयान को मंगल के लिए 5 november 2013 को indian space research organation (ISRO) के द्वारा launch किया गया था। यह मंगलयान 24 September 2014 को मंगल कि orbit मे स्थापित किया गया था।
भारत का पहला इंटरप्लानेटरी स्पेस मिशन , MOM है। इस मिशन के तहत मंगल की सतह की विशेषताओं,का खनिज का और मंगल ग्रह का वातावरण का , ओर मंगल से सम्बंधित हर प्रकार की जानकारी का पता लगाने से है। इसके अलावा, मंगल के वायुमंडल में मीथेन के लिए ग्रह पर खोज करना तथा जीवन की संभावना का पता लगाना , अस्तित्व के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इंटरप्लाटरी मिशन में विशाल दूरी एक चुनौती हैं; इन मिशनों के लिए आवश्यक तकनिकी के विकास और अंतरिक्ष मे खोजबीन के लिए महत्वपूर्णभावनाएं खुलेंगी ।
भारत के मंगल ग्रह जाने का फैसला करने के बाद, इसरो एक पल का भी समय नहीं खोना चाहता था। क्योंकि नजदीकी लॉन्च विंडो केवल कुछ महीने दूर थी और यह मौका खोने का जोखिम नहीं उठा सकता था, बशर्ते अगले लॉन्च को 2016 में 780 दिनों के बाद ही पेश किया जाएगा। इस प्रकार, मिशन की योजना बना, अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहन का निर्माण और सहायता प्रणालियों को पढ़ना तेजी से हुआ।।
इस मिशन मे 450 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है।।
इसका अर्थ है कि 73 मिलीयंन us $ डॉलर का खर्च हुआ है ।। इसमे बहुत से महतमहत्वपूर्ण उपकरण का उपयोग किया गया है ।।।
जैसै।।
मीथेन सेंसर,
थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर,
मार्स कलर कैमरा,
लमेन अल्फा फोटोमीटर,
मंगल बहिर्मंडल उदासीन संरचना विशलेषक ।।।
Launch vehicle.........
मंगलयान को जिस launch vehicle से launch किया गया था । उसका नाम pslv-c25 (xl) है।
इसके द्वारा बहुत से मिशन सफलतापूर्वक संपन्न किये गये ।
जिनमे से कुछ मिशन निम्न है।।।
Chandrayaan (2008), GSAT-12 (2011) and RISAT-1 (2012)।।।।
Launch cost.....
इस दौरान मिशन मे कुल 450 करोड़ का खर्च हुआ है।
Launch site. ...
सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र ।। shriharikota
Launch weight. .......
....1350 kilogram
Power के लिए इसमे तीन सोलर पैनल लगे होते है ।।
भारत का पहला इंटरप्लानेटरी स्पेस मिशन , MOM है। इस मिशन के तहत मंगल की सतह की विशेषताओं,का खनिज का और मंगल ग्रह का वातावरण का , ओर मंगल से सम्बंधित हर प्रकार की जानकारी का पता लगाने से है। इसके अलावा, मंगल के वायुमंडल में मीथेन के लिए ग्रह पर खोज करना तथा जीवन की संभावना का पता लगाना , अस्तित्व के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इंटरप्लाटरी मिशन में विशाल दूरी एक चुनौती हैं; इन मिशनों के लिए आवश्यक तकनिकी के विकास और अंतरिक्ष मे खोजबीन के लिए महत्वपूर्णभावनाएं खुलेंगी ।
भारत के मंगल ग्रह जाने का फैसला करने के बाद, इसरो एक पल का भी समय नहीं खोना चाहता था। क्योंकि नजदीकी लॉन्च विंडो केवल कुछ महीने दूर थी और यह मौका खोने का जोखिम नहीं उठा सकता था, बशर्ते अगले लॉन्च को 2016 में 780 दिनों के बाद ही पेश किया जाएगा। इस प्रकार, मिशन की योजना बना, अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहन का निर्माण और सहायता प्रणालियों को पढ़ना तेजी से हुआ।।
इस मिशन मे 450 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है।।
इसका अर्थ है कि 73 मिलीयंन us $ डॉलर का खर्च हुआ है ।। इसमे बहुत से महतमहत्वपूर्ण उपकरण का उपयोग किया गया है ।।।
जैसै।।
मीथेन सेंसर,
थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर,
मार्स कलर कैमरा,
लमेन अल्फा फोटोमीटर,
मंगल बहिर्मंडल उदासीन संरचना विशलेषक ।।।
Launch vehicle.........
मंगलयान को जिस launch vehicle से launch किया गया था । उसका नाम pslv-c25 (xl) है।
इसके द्वारा बहुत से मिशन सफलतापूर्वक संपन्न किये गये ।
जिनमे से कुछ मिशन निम्न है।।।
Chandrayaan (2008), GSAT-12 (2011) and RISAT-1 (2012)।।।।
Launch cost.....
इस दौरान मिशन मे कुल 450 करोड़ का खर्च हुआ है।
Launch site. ...
सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र ।। shriharikota
Launch weight. .......
....1350 kilogram
Power के लिए इसमे तीन सोलर पैनल लगे होते है ।।
Mars Orbiter Mission. ...
Reviewed by Hs sharma
on
September 25, 2017
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